कहानी का शीर्षक:
"गुप्त डायरी के पन्ने"
शैली: थ्रिलर, फैंटेसी, रहस्य
1. पहला पन्ना – वो पुराना संदूक
मेरे दादाजी की मौत के बाद जब हम उनके पुराने घर को समेट रहे थे, तब अटारी में एक धूल भरा संदूक मिला। लकड़ी का, जंग लगे ताले वाला। किसी को नहीं पता था उसमें क्या है।
कुंजी नहीं मिली, तो मैंने उसे जबरन खोला। अंदर एक पुरानी डायरी थी — चमड़े की जिल्द वाली, जिस पर एक अजीब सा चिह्न बना था — किसी भाषा में जिसे मैंने पहले कभी नहीं देखा।
मैंने पहला पन्ना खोला:
"यह डायरी सिर्फ उस व्यक्ति के लिए है, जो सच जानने की हिम्मत रखता है।"
2. दूसरा पन्ना – समय से बाहर की दुनिया
डायरी के पन्नों पर घटनाएं थीं जो भविष्य की लगती थीं… लेकिन तारीखें पुरानी थीं।
"13 मई 1999 – एक दरवाज़ा खुला, जो समय की सीमा से परे था। मैं उसमें चला गया… और लौटा नहीं।"
"27 दिसंबर 2005 – एक लड़की आई थी, जिसकी आंखों में आग थी। वो इंसान नहीं थी।"
मैंने पढ़ना बंद कर दिया। ये सब पागलपन जैसा था… या फिर?
3. तीसरा पन्ना – वो एक अजीब रात
डायरी पढ़ने के कुछ ही दिनों बाद, मेरे कमरे में अजीब घटनाएं होने लगीं। किताबें गिरतीं, खिड़कियाँ अपने आप खुल जातीं।
रात, जब बिजली चली गई, मैंने डायरी को टेबल पर रखा और जैसे ही बाहर कड़कती बिजली की रौशनी आई, डायरी अपने आप खुल गई।
उस पन्ने पर लिखा था:
"आज रात, वह फिर लौटेगा। उसे रोकना होगा, वरना सब बदल जाएगा।"
मेरे रोंगटे खड़े हो गए।
4. चौथा पन्ना – अजनबी का आगमन
उस रात 12:03 पर दरवाज़े पर दस्तक हुई।
मैंने दरवाज़ा खोला। एक लंबा, काले कोट वाला आदमी खड़ा था। उसकी आंखें… वैसी ही थीं जैसी डायरी में लिखी लड़की की थीं।
उसने धीमे स्वर में कहा,
"डायरी तुम्हारे पास है। अब समय पूरा हो चुका है।"
बिना कुछ कहे वह अंदर आ गया, और सीधे उस डायरी तक पहुँचा।
5. पाँचवां पन्ना – जो लिखा था, वही हुआ
डायरी के अगले पन्ने पर जो लिखा था, वही मेरे सामने हुआ:
"वह आएगा, और जैसे ही तुम्हें देखेगा, सब कुछ फिर से शुरू होगा। तुम्हें दो विकल्प मिलेंगे: या तो उसे डायरी दे दो, या सच्चाई को जानकर सब खो दो।"
मैंने उसे डायरी सौंप दी।
उसने बस एक बार मुस्कराकर कहा,
"तुमने सही चुना।"
और फिर वो गायब हो गया — सचमुच, मेरी आंखों के सामने धुएँ में बदलकर।
6. अंतिम पन्ना – रहस्य अधूरा है
डायरी वहीं पड़ी थी… लेकिन अब वह खाली थी। सारे पन्ने सफेद।
मैंने एक पेन उठ
शीर्षक: “गुप्त डायरी - सिर्फ मेरी कहानी”
पहला पन्ना: 4 जून
आज मुझे वो पुराना संदूक मिला, दादाजी की अटारी में। धूल से भरा, लकड़ी की गंध से सराबोर। अंदर सिर्फ एक चीज़ थी—एक डायरी।
काली चमड़ी, सुनहरे किनारे, और बीच में एक अजीब सा प्रतीक—जैसे कोई रहस्य समेटे हो। मैं क्यों खिंचता चला गया उसकी ओर, मुझे नहीं पता।
डायरी का पहला पन्ना खुद मेरी ओर खुल गया...
"जो इसे पढ़ रहा है, वह सच्चाई का बोझ उठाने को तैयार हो जाए।"
दूसरा पन्ना: 5 जून
रात भर नींद नहीं आई।
डायरी के अगले कुछ पन्नों में कुछ घटनाएं दर्ज थीं—भविष्य की घटनाएं, लेकिन दिनांक पिछली थीं। कैसे हो सकता है ये?
“27 नवंबर 1997 – पहला दरवाज़ा खुला था। वहाँ समय नहीं था, बस धुंध और आवाज़ें थीं।”
मैंने सोचा, शायद ये बस कल्पना है। पर फिर...
तीसरा पन्ना: 7 जून
मेरे कमरे में अब अजीब चीज़ें होने लगी हैं।खिड़कियाँ अपने आप खुलती हैं। रात को किसी के चलने की आहट। दीवार पर एक छाया जो मेरी नहीं है।
कल रात डायरी के पन्ने खुद ही पलटे।उस पन्ने पर लिखा था: आएगा। उसे मत देखना। जो देखेगा, खो देगा।"मैंने वो रात रोशनी में बिताई… लेकिन वो आया।
चौथा पन्ना: 9 जून
कल रात 3:03 बजे दरवाज़ा खुद-ब-खुद खुल गया।
एक लंबा आदमी—बिल्कुल काले कपड़ों में—मेरे कमरे में घुसा। उसने कुछ नहीं कहा। सिर्फ मेरी डायरी की तरफ देखा, और मुस्कराया।
मैंने बोलने की कोशिश की, लेकिन आवाज़ जैसे जम गई।
वो चला गया… पर उसकी परछाई अभी भी कमरे में है।
पाँचवां पन्ना: 11 जून
मैं अब समझ चुका हूँ—ये डायरी कोई किताब नहीं, ये एक दूसरा दरवाज़ा है।हर पन्ना, हर दिन, मुझे किसी नई दुनिया की ओर ले जा रहा है।
आज लिखा था:
"जब पहली बार देखा, सब शुरू हो गया। अब रुकना संभव नहीं।"
मैं किस ओर जा रहा हूँ, मुझे नहीं पता।
छठा पन्ना: 13 जून
आज एक लड़की मिली—सपने में।
वो बोली, “तुम मेरी जगह चुन लिए गए हो।”
मैंने पूछा, “कौन हो तुम?”
उसने कहा, “तुम्हारा अंत।”
मैं जागा, तो मेरे हाथ में डायरी का एक पन्ना अलग था… जलता हुआ।
अंतिम पन्ना: 15 जून
मैं नहीं जानता कि मैं अब इस दुनिया में हूँ या नहीं।
हर चीज़ बदल गई है। लोग मुझे नहीं देखते। मैं आइनों में नहीं दिखता।
डायरी का आखिरी पन्ना कहता है:
"अब ये कहानी सिर्फ तेरे लिए है। कोई और नहीं पढ़ सकता। जो पढ़ेगा, वो भी खो जाएगा।"
अगर कोई कभी ये डायरी पाए…
तो जान लेना — यह कहानी एकतरफा है।
मैंने सब देखा, सब झेला, पर कोई नहीं लौटा
… सिवाय मेरे।
💀👹🌒
🕯️ “गुप्त डायरी कभी जवाब नहीं देती। वो बस सुनती है… और तुम्हें खो देती है।”
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